Aalhadini

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Murder or trap 1

 


"क्यूँ चीख रहे हो अशोक..!! ऐसा क्या आसमान फट गया..?" इंस्पेक्टर मृदुल ने अंदर आते हुए पूछा। सब इंस्पेक्टर चिराग भी पीछे पीछे ही आ रहा था। दोनों ने अंदर आते हुए कुर्सी पर बैठे हुए आदमी को नहीं देखा था।

"इन साहब को क्या तकलीफ है..?" चिराग ने अंदर आते हुए पूछा। 


चिराग के पूछते ही दीप ने पलटकर देखा। दीप के पलटते ही चिराग और मृदुल दोनों ही दीप को पहचान गए और इस वक्त दीप को पुलिस स्टेशन में देखकर उनके मुँह खुले के खुले रह गए थे।


मृदुल ने जल्दी से अपनी कुर्सी पर बैठते हुए कहा, "दीप साहब..!! कोई खास वजह आपके यहाँ आने की..! होप के सब ठीक है।" 


तब तक चिराग भी एक कुर्सी खींचकर वही आकर बैठ गया था। उसे भी जिज्ञासा थी.. उस कारण को जानने की जिसकी वजह से दीप द होटल किंग..!!  इतनी सुबह पुलिस स्टेशन में आया था।


"मेरी वाइफ अपने प्रेमी के साथ भाग गई।" दीप ने बिना किसी भाव के कहा।


"क्याऽऽऽऽ…???" चिराग के मुँह से जोरदार आवाज आई।


मृदुल ने चिराग को घूर कर देखा जैसे इस बदतमीजी के लिए उसे सज़ा मिलनी चाहिए।


"सॉरी..!! आई डिडन्ट मीन देट।" चिराग ने जल्दबाज़ी में दीप से कहा।


"ईटस् ओके..!" दीप की तरफ से एक संक्षिप्त ज़वाब आया।


"सॉरी दीप साहब..!! आप बताइए.. कब, क्या और कैसे हुआ??" इंस्पेक्टर मृदुल ने FIR रजिस्टर में एन्ट्री करते हुए कहा।


दीप ने लंबी साँस ली और कुछ रूककर बोलना शुरू किया।


"मैं आज सुबह जब सोकर उठा तब मेरी वाइफ घर में नहीं थी। नौकरों का वीकली ऑफ था तो वो भी तब तक काम पर नहीं आए थे। मैंने उसे पूरे घर में ढूंढ लिया पर वो कहीं भी नहीं थी। उसका फोन भी स्विच ऑफ आ रहा हैं और घर से पैसे और ज्वेलरी भी गायब है.. यहां तक कि उसके कपड़े तक गायब हैं। अब बताइए कोई और क्या समझेगा..?? यही ना कि वो किसी के साथ ही भागी है। उसके मायके में भी कॉल किया था.. वहां भी नहीं गई है।"



इंस्पेक्टर मृदुल ने काग़ज़ी कारवाई कर के दीप को आश्वासन दिया, "दीप साहब..! हम जल्द ही आपकी वाइफ को ढूंढ निकालेगे। आप चिंता ना करें! मुझे उनकी कोई फोटो हो तो दे दीजिए।"


"फोटो तो अभी लाया नहीं..!! आप किसी को भेज दीजिएगा मैं घर से प्रोवाइड करवा दूँगा। अब मैं चलता हूं.. आप प्लीज उसे जल्द से जल्द ढूंढ निकालिए।" दीप की आवाज़ में क्रोध और घृणा की हल्की सी झलक दिखी जो भी जल्दी ही दूर हो गई थी। पर उसके एक्सप्रेशनस् मृदुल की नज़र में आ गए थे। 



"श्योर..!!" कहकर मृदुल ने दीप से हाथ मिलाया और दीप बाहर निकल गया।


"सर..!! मुझे कुछ गड़बड़ लगता है ये आदमी।" चिराग ने कुर्सी पर बैठते हुए कहा।


मृदुल दीप के एक्सप्रेशन देख कर कहीं खोया हुआ सा था.. चिराग के बोलते ही हड़बड़ा गया और बोला, "चिराग कमिश्नर साहब को इंन्फोर्म करना होगा पहले.. हाई प्रोफाइल केस है..!! कुछ गड़बड़ हुई तो लेने के देने पड़ सकते हैं। और वैसे भी दीप के बारे में लोगों की राय अच्छी नहीं है। इस पूरे मामले में कुछ बहुत बड़ा झोल है।"



ऐसा बोलकर मृदुल ने कमिश्नर के ऑफिस कॉल किया।  दूसरी तरफ से कॉल कमिश्नर साहब के  पीए ने उठाया।
 मृदुल ने कहा, "सर..!! अर्जेंसी है.. आप कमिश्नर सर से बात करवा देंगे।"


 पी ए ने कहा, "सॉरी.. इस टाइम पॉसिबल नहीं है। सर किसी अर्जेंट मीटिंग में है।"


मृदुल ने कहा, "एक बहुत ही ज्यादा हाई प्रोफाइल केस आया है। इट्स् अर्जेंट..!! प्लीज आप मेरी बात करवा दीजिए।" ये बोलते वक्त मृदुल के चेहरे पर टेंशन थी। उसे कुछ गलत होने का अंदेशा हो रहा था।


"ठीक है..! रुको..!!  मैं पूछता हूं..!!



 मृदुल ने कुछ देर वेट किया तब तक पीए ने कमिश्नर से बात कर ली और कहा, "ठीक है मैं लाइन ट्रांसफर करता हूं। तुम सर से बात कर लो।"


लाइन ट्रांसफर हुआ और  कॉल कनेक्ट होने की आवाज आई।
"जय हिंद साहब…!!  सर होटल किंग दीप की वाइफ अपने प्रेमी के साथ भाग गई है। दीप अभी-अभी एफआईआर लिखवाने आया था। वह उसकी वाइफ को जल्द से जल्द ढूंढने के लिए बोल रहा था।"



 सामने से कुछ कमिश्नर साहब ने कहा और फोन कट हो गया। 


मृदुल फोन हाथ में रखकर ही कुछ सोचने लगा।
 चिराग ने उससे पूछा, "सर क्या बात हुई?? क्या कहा कमिश्नर साहब ने? कुछ आर्डर..??"


 "हमें दो घंटे बाद ऑफिस में बुलाया है.. उससे पहले जो भी कुछ इस केस के बारे में बेसिक नॉलेज है.. वह पता करनी है। उसी के बाद हम लोग कमिश्नर साहब से मिलने के लिए जा पाएंगे। अभी 11:00 बज रहे हैं हम यहां से 1 घंटे में निकलेंगे। उसके बाद कमिश्नर साहब से बात करके फिर दीप के घर जाकर देखते हैं कि पूरा मामला क्या है?"



चिराग ने कहा, "ठीक है सर..!! तब तक मैं अपने पुराने केसेज् की लिस्ट बनाकर उनकी प्रोग्रेस रिपोर्ट बना लेता हूं और अपने नेटवर्क को बोल कर दीप की वाइफ के बारे में सब को अलर्ट कर देता हूं।  जैसे ही हमें फोटो मिलेगी हम अपने नेटवर्क को भेज देंगे।  ओके सर.. आई एम लीविंग नाऊ।"



 ऐसा कहकर चिराग मृदुल को सैल्यूट करके वहाँ से निकल गया। 


मृदुल वहीं बैठा बैठा दीप की वाइफ के केस के बारे में सोचने लगा।  मृदुल के हिसाब से जो भी दिख रहा था.. वह उतना आसान नहीं था। यह शायद सिंपल 2 लोगों के पैसे और ज्वेलरी लेकर भागने का केस नहीं हो सकता था। इस पूरे मैटर में कुछ तो संदिग्ध था.. पर क्या..?? वही पता करना था??



लगभग देढ़ घंटे बाद इंस्पेक्टर मृदुल और सब इंस्पेक्टर चिराग दोनों कमिश्नर ऑफिस के लिए निकल गए। 25 मिनट के बाद दोनों कमिश्नर ऑफिस में थे।


दोनों ने अंदर आने के लिए कमिश्नर साहब से परमिशन मांगी और कमिश्नर साहब ने उन्हें अन्दर आने का इशारा किया।


कमिश्नर साहब के केबिन में एसपी सिटी भी मौजूद थे और दोनों के बीच मे दीप की ही बातें चल रही थी।

"जय हिंद सर..!!" मृदुल और चिराग ने अंदर आते हुए सैल्यूट करते हुए कहा।



कमिश्नर का केबिन बहुत ही बड़ा और खुला खुला सा था...केबिन के सेंटर में एक बड़ी सी टेबल लगी हुई थी.. जिसके सामने की तरफ कमिश्नर की बड़ी सी कुर्सी रखी थी। टेबल के दूसरी तरफ चार कुर्सियाँ रखी थी.. जिनमें से एक पर एसपी सिटी अशोक कुमार बैठे हुए थे।


 कमिश्नर सर के पीछे की दीवार पर गांधी जी, सुभाष चंद्र बोस और लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की तस्वीरे लगी हुई थी। एक तरफ बहुत सी रैक्स् में बहुत सी केस फाइल्स रखी थी।


"जय हिंद..!! आओ, बैठो मृदुल बताओ क्या केस है दीप की बीवी का?? कोई जरूरी बात पता चली?" कमिश्नर ने पूछा।



"नो सर..!! फ़िलहाल तो कुछ पता नहीं चल पाया है। बिना आपसे बात किए किसी भी तरह की इनवेस्टिगेशन भी स्टार्ट नहीं की है। केवल मुखबिरों को अलर्ट कर दिया गया है। फोटो मिलते ही सभी को दे दी जाएगी.. ताकि जल्द से जल्द उन्हें ढूंढ़ा जा सके।" मृदुल ने कुर्सी पर बैठते हुए जवाब दिया।



"तो क्या सोचा है.. कैसे हैण्डल करोगे इस केस को?? क्या स्ट्रेटजी रहेगी.. क्योंकि हाई प्रोफाइल केस है तो प्रेशर बहुत ज्यादा रहेगा तुम पर। और ये सब कुछ तुम्हें मीडिया को पता लगे बिना करना होगा। गलती से भी मीडिया को इस बात की भनक तक लग गई तो हमारी जान आफत में आ जाएगी।" एसपी साहब ने परेशान होते हुए कहा।


"बिल्कुल ठीक कहा अशोक ने.. हमें ये बात मीडिया से छुपानी होगी और दीप भी अगर चाहे तो इस मामले में मीडिया को इनवोल्व करे या ना करे। हमारे डिपार्टमेन्ट से कोई भी प्रेस को कुछ नहीं बतायेगा। क्लियर मृदुल..!! और हाँ अपने स्टाफ को भी स्ट्रिक्ट इंस्ट्रक्शन्स दे देना कि किसी की भी छोटी सी गलती  उनकी नौकरी खा जाएगी।" कमिश्नर ने चिराग को देखते हुए कहा तो चिराग एकदम से हड़बड़ा गया।



"मैं अपने स्टाफ की गारंटी लेता हूं.. मेरे या मेरे स्टाफ से ये बात बाहर नहीं जाएगी।" मृदुल ने चिराग की साइड लेते हुए कमिश्नर को आश्वासन दिया। मृदुल की नजरें चिराग पर ही थी और चिराग की आँखों में कृतज्ञता थी मृदुल के लिए।


"ओके सर..!! अब मुझे चलना चाहिए मैं यहाँ से सीधे दीप के घर जाऊँगा और जो भी अपडेट होगी टाइम टू टाइम आपको देता रहूंगा।" मृदुल ने कुर्सी छोड़ते हुए कहा।


"ठीक है..!! बताते रहना..!!!" कमिश्नर ने कहा।
"जय हिंद सर..!!" मृदुल और चिराग एसपी और कमिश्नर को सैल्यूट करके दीप के घर जाने के लिए निकल गए।


पुलिस जीप में इस वक्त बिल्कुल सन्नाटा था। चिराग या मृदुल दोनों में से किसी की भी आवाज नहीं आ रही थी। लगभग आधे घंटे के बाद चिराग ने एक पॉश एरिया की तरफ गाड़ी मोड़ दी।



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 इस एरिया में अधिकतर मंत्रियों, बड़े प्रशासनिक अधिकारियों और बड़े व्यापारियों के बंगले थे। इस इलाके में नॉर्मल लोगों की एंट्री बैन थी.. कोई भी आम आदमी इस इलाके के आसपास भी नहीं फटक सकता था। अंदर जाने के हर रास्ते पर एक पर्सनल गार्ड्स की चौकी बनी हुई थी।  इसी चौकी से होते हुए ही किसी को भी अंदर जाना होता था.. और इस चौकी पर एंट्री करवाएं बिना कोई भी अंदर नहीं जा सकता था। इंस्पेक्टर मृदुल को भी उस चौकी पर एंट्री करवानी पड़ी और बताना पड़ा कि उसे किसके बंगले में जाना था। पैपराजीज् को भी  बिना किसी इनविटेशन के अंदर एंट्री नहीं थी। 



 चिराग ने एंट्री करवाते ही उस कॉलोनी के अंदर गाड़ी मोड़ दी। अंदर एंट्री करने के बाद राइट हैंड की तरफ सबसे पहला बंगला जो उस एरिया का सबसे बड़ा और आलीशान बंगला था.. के सामने गाड़ी रोक दी। 
उस बंगले के मेन गेट पर भी कॉलोनी की मेन गेट की तरह यहां भी एक पर्सनल गार्ड्स की चौकी बनी हुई थी।  उन्हें स्ट्रिक्ट इंस्ट्रक्शन थी कि कोई भी अंदर नहीं जा सकता और अगर कोई इमरजेंसी हो तो गार्ड अंदर कॉल करके परमिशन लेगा.. उसी के बाद आगंतुक अंदर जा सकता था।  या फिर कुछ स्पेशल गेस्ट के लिए पहले से चौकीदार को इंस्ट्रक्शन मिल जाती थी तो उनकी गाड़ी को नहीं रोका जाता था।



 इस वक्त पुलिस जीप को बाहर ही रोक कर गार्ड ने अंदर कॉल करके परमिशन ली और जीप में झांक कर कहा,  "ओके सर.. आप लोग अंदर जा सकते हैं.. बंगले के गेट पर ही आपको मिस्टर रनवीर मिलेंगे.. जो दीप सर के सेक्रेटरी हैं। वही आपको दीप सर से मिलवा सकते हैं। आप अंदर जाकर उनसे मिल लीजिएगा।" ऐसा कहकर गार्ड ने मेन गेट खोल दिया और जीप बंगले के अंदर एंटर कर गई।



5000 गज में फैला हुआ बंगला. जिसके चारों तरफ ऊंची बाउंड्री वॉल जिसके ऊपर बिजली के तारों से फेंसिंग की गई थी ताकि कोई भी कूदकर बंगले के अंदर नहीं घुस पाए।



 बंगले के सामने बहुत ही खूबसूरत गार्डन था.. जिसमें सारे के सारे इंटरनेशनल फूलों,  फलों और सजावट के पेड़ - पौधे थे। एंट्री गेट के लेफ्ट हैंड साइड एक बड़ा सा स्विमिंग पूल था। स्विमिंग पूल के आसपास बड़ा सा गार्डन एरिया था। जिसे पार्टी के लिए ही यूज़ किया जाता था। नॉर्मली वहां कोई नहीं जाता था। केवल पार्टीज के अलावा वहां पर आम दिनों में घर के नौकर ही साफ सफाई के लिए जाते थे। 



 धीरे-धीरे अंदर अंदर चलने पर बहुत ही खूबसूरत फूलों की बेलें लगी हुई थी.  जिनमें रंग बिरंगे फूल खिले हुए थे। चारों तरफ तितलियां, चिड़ियां और रंग-बिरंगे लव बर्ड्स उड़ रहे थे।  पूल साइड के ही एक कॉर्नर पर बर्ड हाउस बने हुए थे.. जहां वह खूबसूरत पंछी और तितलियां रहती थी।



 इतना खूबसूरत मंजर था कि अगर कोई कवि देख ले तो अपनी जिंदगी वहीं बैठ कर कविताएं लिखने में बिता दें। उसे कविता करने के लिए किसी नायिका की कोई आवश्यकता भी नहीं पड़ती.. वहां का माहौल ही उसकी नायिका से भी ज्यादा खूबसूरत था।



 थोड़ा आगे जाने पर उस बंगले का दरवाजा आ गया। इटालियन मार्बल से बना हुआ घर.. पूरे घर पर इतनी खूबसूरती से डिजाइनिंग की गई थी कि पुराने जमाने के महल भी उसके सामने फीके लगते थे। 



 सामने मेन गेट पर ही एक लड़का खड़ा था.. लगभग 27- 28 साल का लड़का, छह फुट लंबा, गोरा, हल्के भूरे बाल और ग्रे आंखे उसे स्मार्ट और एलिगेन्ट बना रही थी। उसके बॉडी पाॅश्चर से वो भी पढ़ा लिखा और खानदानी नजर आ रहा था.. वो आदमी सूट बूट पहने खड़ा था। जो चिराग और मृदुल को रिसीव करने आया था।


 चिराग ने बंगले के दरवाजे के सामने ही गाड़ी रोकी और दोनों जीप से बाहर उतर गए।  उनके जीप से उतरते ही एक नौकर ने आकर उनसे जीप की चाबी ले ली और जीप को एक तरफ पार्किंग में खड़ा करने के लिए चला गया।



 चिराग को यह सब देख कर अचंभा हो रहा था। जैसे ही नौकर जीप को पार्क करने के लिए लेकर गया.. रनवीर ने आगे बढ़कर उनसे हाथ मिलाया।



 "हेलो सर..! माय सेल्फ रनवीर.. मैं दीप सर का पीए हूं। सर के सारे मैटर मैं ही हैंडल करता हूं.. आपको इस केस के लिए जो भी डिटेल्स चाहिए या जो भी कोई हेल्प चाहिए.. आप मुझसे कहिएगा.. मैं आपकी हर संभव सहायता करूंगा। ताकि जल्द से जल्द मैडम मिल जाए। दीप सर उनके बिना जीने की सोच भी नहीं सकते। वो मैडम को बहुत प्यार करते हैं।" ऐसा कहते हुए उसने चिराग और मृदुल को अंदर चलने के लिए कहा,  "आइए सर..!! दीप सर आप लोगों का अंदर ही वेट कर रहे हैं.. चलिए..!!"




 ऐसा कह कर रनवीर आगे आगे चल दिया। चिराग और इंस्पेक्टर मृदुल दोनों रनवीर के पीछे पीछे बंगले के अंदर चल पड़े।


 सबसे पहले अंदर जाने के लिए 8 से10 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती थी। सीढ़ियों के दोनों तरफ सफेद कलर के नक्काशी दार पिल्लर बने हुए थे। उन पिल्लरों के 10-12 कदम आगे जाने पर एक बहुत ही खूबसूरत नक्काशी दार लकड़ी का दरवाजा था.. जिस पर पीतल की खूबसूरत कारीगरी हो रही थी।



 वहां से वापस पीछे देखने पर ऐसा लगता था जैसे कोई राजा अपनी रियासत के लोगों से मिलने के लिए एक ऊंचे मंच पर खड़ा था। 


 रनवीर के पीछे पीछे दोनों ने बंगले के अंदर जैसे ही पहला कदम रखा.. उनकी आंखें विस्मय से फैल गई थी। बंगला इतना खूबसूरत और आलीशान था जिसके सामने ताजमहल भी एक बार को फीका लगता था। 
 अंदर एंटर करते ही सबसे पहले एक 40 बाई 50 का हॉल था.. जिसके चारों तरफ दीवारों पर जैसे कोई कहानी चल रही हो वैसे पीओपी से चित्र बने हुए थे।  दीवारें सफेद रंग की थी और उन चित्रों की किनारे किनारे पेंटिंग्स की तरह बॉर्डर बनी हुई थी.. वह बॉर्डर गोल्डन और कॉपर कलर की थी। ऐसा लग रहा था जैसे उन चित्रों की पेंटिंग्स की बॉर्डर सोने और तांबे की बनाई गई हो। इतनी सुंदर बारीक मीनाकारी उस बॉर्डर पर की गई थी कि कोई भी देख कर उसे दीवार नहीं बता सकता था।



 दीवार पर महाभारत और रामायण के पात्रों के चित्र उभरे हुए दिखाई दे रहे थे.. पर सभी सफेद रंग के थे। हॉल के बीचो बीच एंटीक सोफा और सेंटर टेबल रखी गई थी। सोफे के एक साइड.. एक बड़ी गोल्डन कलर की लेदर वाली किंग साइज चेयर रखी थी। सोफे और चेयर का कलर परफेक्ट कंबीनेशन में था।  गोल्ड, कॉपर और मैटेलिक ब्राउन..! एक परफेक्ट कांबिनेशन।"
 चारों तरफ काॅर्नर्स् पर सजावटी पीतल के वाॅस रखे हुए थे। जिनमें कुछ में फूल रखे थे और कुछ के उपर  खूबसूरत मीनाकारी किए हुए हाथी, ऊंट और घोड़े रखे थे। हॉल का फर्श इटालियन मार्बल का बना हुआ था जो कांच की तरह चमक रहा था।



 सोफे और कुर्सी के नीचे एक महंगा मखमली कालीन बिछा हुआ था.. जो उस हॉल के इंटीरियर को काॅम्प्लीमेंट कर रहा था। हाल के दोनों तरफ से ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई थी और सीढिय़ां भी वही गोल्डन और कॉपर के कॉन्बिनेशन से बनी हुई थी।  बीचोंबीच छत  पर बहुत ही खूबसूरत झूमर लटक रहा था। 


 इंस्पेक्टर मृदुल और चिराग की आंखें इतने आलीशान बंगले को देखकर ही फटी की फटी रह गई थी।


"आप बैठिए सर..!! मैं अभी दीप सर को इनफॉर्म करके आता हूं कि आप लोग आ गए हैं।" ऐसा कहकर रनवीर सीढ़ियों से ऊपर की तरफ चला गया।  जाने से पहले उसने एक सर्वेंट को बुलाकर मृदुल और चिराग के लिए चाय नाश्ते का इंतजाम करने के लिए कहा।



चिराग वही आसपास घूम कर घर को निहार रहा था। उसकी नज़रों में बंगले के लिए एक सॉफ्ट कॉर्नर बन गया था।


"बेवकूफ़ औरत..!! इतना खूबसूरत घर छोड़कर कौन भागता है? मेरा ऐसा घर हो तो काम करने के लिए भी बाहर नहीं जाऊँ।" चिराग ने घर को निहारते हुए ठंडी आहें भरते हुए कहा।



"शट अप चिराग..!! तुम्हें नहीं लगता तुम आजकल कुछ ज्यादा ही बोलने लगे हो।" मृदुल ने धीमी लेकिन सख्त आवाज में कहा।



 "सॉरी सर..!!  पर यह बात सच तो है ना.. कौन औरत इतना खूबसूरत घर, रिची रिच हसबैंड और ए क्लास स्टेटस छोड़कर जाएगी। कुछ ना कुछ जरूर होगा जो मिसिंग है।" चिराग ने कहा।


 चिराग के कहते ही इंस्पेक्टर मृदुल के दिमाग में कुछ क्लिक हुआ।


मृदुल ने चिराग से पूछा, "एक बात बताओ.. अगर तुम उस औरत की जगह होते तो इस घर को छोड़कर जाते..?? या फिर अगर जाते तो क्यों और किन हालातों में..??"   ऐसा कह कर फिर से चिराग की तरफ सवालिया नजरों से देखा। 



"नहीं तो.. मैं तो किसी भी हालत में इस घर को छोड़कर नहीं जाता। हां..!  अगर कोई ऐसी बात होती.. जो मेरे लिए ठीक नहीं होती.. तो उसे ठीक करने की कोशिश करता और जब तक बात हाथ से नहीं निकल जाती तब तक तो इस घर को छोड़कर बिल्कुल भी नहीं जाता।" चिराग ने संजीदा होते हुए जवाब दिया।



 चिराग अभी भी घर के कोने कोने पर अपनी तीखी नजर बनाए हुए था। हॉल के राइट हैंड साइड दो दरवाजे थे और 2 दरवाजे लेफ्ट हैंड साइड थे। सीढ़ियों के नीचे ओपन किचन दिखाई दे रहा था। किचन लेटेस्ट इक्विपमेंट्स से भरा हुआ था... क्लासिक मॉडल और लेटेस्ट स्टाइल का मॉड्यूलर किचन।


 किचन में एक सर्वेंट काम कर रहा था.. जो शायद रनवीर के कहे अनुसार उनके लिए चाय नाश्ता बना रहा था।


 चिराग इधर-उधर नजर बनाए हुए था कि तभी सीढ़ियों से जूतों की आवाज आने लगी.. वो 2 जोड़ी जूतों की आवाजें थी।  आवाजों से ही कोई भी पहचान सकता था कि 1 जोड़ी जूते लेटेस्ट कलेक्शन के ब्रांडेड पेयर होंगे.. उनके सोल की आवाज ऐसे लग रही थी जैसे कोई सेना का जनरल जैसा सख्त आदमी दूर से चलकर आ रहा था।  दूसरे जोड़ी जूते की आवाज एक नार्मल नौकरी पेशा आदमी की जूतों की आवाजों की तरह ही सुनाई दे रही थी.. थकी हुई और परेशान। 
थोड़ी ही देर में उन्हें दीप सीढ़ियों से उतरता हुआ दिखाई दिया। दीप के पीछे पीछे रनवीर भी सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए दिखाई दिया।



 यह वह दीप बिल्कुल नजर नहीं आ रहा था जो आज सुबह अपनी वाइफ की मिसिंग कंप्लेंट लिखवाने के लिए पुलिस स्टेशन आया था।  सुबह आने वाला दीप एक परेशान, थका हुआ और हारा हुआ आदमी नजर आ रहा था। भले ही वह सुबह भी बहुत ही स्मार्ट और डेशिंग दिख रहा था.. पर फिर भी एक अजीब सी बेचैनी उसके हावभाव और बॉडी लैंग्वेज से नजर आ रही थी।
 इस वक्त जो दीप उन लोगों के सामने था.. वह सचमुच एक बिजनेस टायकून की तरह दिखाई दे रहा था। एक लंबा चौड़ा, ब्रांडेड कपड़े पहना हुआ आदमी जिसके चेहरे हाव-भाव और बॉडी लैंग्वेज से ही उसके अमीर और इतने बड़े बिजनेसमैन होने का एटीट्यूड साफ नजर आ रहा था। दीप देखने में काफी ज्यादा स्मार्ट था और साथ ही साथ बहुत ही ज्यादा शातिर भी।
दीप एक 28 साल का आदमी था.. 6 फुट 2 इंच लंबा, कसरती शरीर, हरी आंखें और उसपर ब्रांड्स का अमीराना शौक। सर से पैर तक हर चीज़ ब्रांडेड वर्साची का मैटेलिक ग्रे सूट, राडो की मैचिंग ब्लैक वाॅच, डाॅल्सी एंड गबाना के फॉर्मल ब्लैक शूज़ और क्लाइव क्रिस्टियन का पर्फ्यूम.. जेल लगाकर सेट किए बाल और एटीट्यूड से एक हाथ अपनी पेंसिल पेंट की जेब में डाला हुआ था।  कुल मिलाकर एक ग्रीक गॉड जैसा ही दिखाई दे रहा था। बिल्कुल वैसा ही जैसा उसके बारे में कहा जाता था.. एक हैंडसम हंक..! जिसपर आधे देश की लड़कियां फ्लेट थी। 



दीप के नीचे आते ही मृदुल उठ के खड़ा हो गया और चिराग जो घर में ही इधर उधर घूम रहा था.. वो भी शांति से वहीं आकर खड़ा हो गया। दोनों ही दीप के एटीट्यूड और अमीरी को ही देख रहे थे.. और तो और जब से दीप सीढ़ियों से उतरते हुए उन्हें दिखाई दिया था तभी से दोनों की नजरें दीप पर ही टिकी हुई थी।
"हेलो इंस्पेक्टर..!! आइए.. होप आपको घर ढूंढने में कोई तकलीफ नहीं हुई होगी...??" दीप ने इंस्पेक्टर मृदुल से कहा।



 "नो.. नॉट अट ऑल..!! आप वैसे भी इतने फेमस आदमी हो कि अगर आंख बंद करके भी कोई आपके घर जाने के लिए निकले तो सही पते पर पहुंच ही जाएगा।" चिराग ने मृदुल की जगह जवाब देते हुए कहा। 


"वैसे एक बात कहनी पड़ेगी.. आपका घर बहुत ही ज्यादा खूबसूरत है।" चिराग ने तारीफ करते हुए कहा।  
 "थैंक्स... थैंक्स अ लॉट..!!  आप लोगों को पसंद आया.. यही बहुत बड़ी बात है।" दीप ने अपनी तरफ से बहुत ही ज्यादा विनम्र होते हुए कहा। 


 "सो.. अब हम काम की बात करें..!!"  मृदुल ने चिराग और दीप को बीच में ही टोकते हुए कहा।



 "या.. या.. वाय नाॅट..!! आइए बैठ कर बात करते हैं।" सोफे की तरफ इशारा करते हुए दीप ने कहा।



 दीप अपनी उसी किंग साइज चेयर पर जाकर बैठ गया और उसके साइड में रखें सोफे पर चिराग और मृदुल दोनों बैठ गए।  रनवीर दीप के पीछे ही खड़ा था। दीप ने सोफे पर बैठ कर पीछे रनवीर की तरफ हाथ किया तो रनवीर ने एक लिफाफा निकाल कर दीप के हाथ पर रख दिया। दीप ने वह लिफाफा ऐसे ही उठाकर मृदुल की तरफ बढ़ा दिया।



 मृदुल ने 1 मिनट को चिराग की तरफ देखा और हाथ बढ़ाकर लिफाफा ले लिया।


"इसमें क्या है मिस्टर दीप..??" मृदुल ने पूछा।  
"इसमें वही है.. जिसके लिए आप लोगों को इतनी दूर आने की जहमत उठानी पड़ी।" दीप ने बातों को गोल-गोल घुमाते हुए जवाब दिया।


 "सॉरी..!! मतलब..???" चिराग ने कंफ्यूज होते हुए पूछा।


 तब तक मृदुल उस लिफाफे को खोलने की कोशिश कर रहा था।


"पिक्चर है..!! मेरी वाइफ की..!!" दीप ने कहा।
 "ओह.. मुझे लगा.. आप हमें ब्राइब करने की कोशिश कर रहे हैं।"  चिराग ने हंसते हुए कहा।


 "तो आप चाहते हैं कि मैं आपको ब्राइब करूं..!" दीप ने अपनी एक आईब्रो ऊंची करके पूछा। 


"नो.. नो सर..!! एक्चुअली मेरी मजाक करने की आदत है और वैसे भी सरकार मुझे जितनी तनख्वाह देती है.. वह मेरे लिए इनफ है। बल्कि उससे भी ज्यादा ही है..  उसमें से भी काफी सारे पैसे बच जाते हैं। इसलिए मुझे ब्राइब की जरूरत नहीं पड़ती।" चिराग ने हंसते हुए जवाब दिया।




 इस बात पर चिराग, मृदुल और दीप जोरदार हंस पड़े। रनवीर के चेहरे पर 1 मिनट के लिए हल्की सी मुस्कान आकर चली गई और वह फिर से गंभीर चेहरे के साथ दीप के पीछे खड़ा था।



जब मृदुल ने लिफाफे से फोटो निकाली और एक सरसरी नजर डाली। मृदुल ने चिराग की तरफ देखा और चुपके से फोटो चिराग की तरफ बढ़ा दी। चिराग ने बहुत एक्साइटेड होकर फोटो को देखा तो एकदम से चौंक गया और फोटो हाथ से नीचे गिर गई।
"सॉरी..!! वो मेरा ध्यान कहीं और था..!" चिराग ने हड़बड़ाहट में कहा।


उसने चुपचाप फोटो को एन्वलप में रख दिया और वापस काम पर ध्यान लगाया।


"आपको कब पता चला कि आपकी वाइफ भाग गई है.. हो सकता है उनके साथ कोई दुर्घटना हुई हो.. या फिर अपनी किसी सहेली से मिलने गई हो।" मृदुल अब अपने पुलिसिया अंदाज में आ चुका था।



इस वक्त चिराग और मृदुल की तेज नजरे दीप के ही चेहरे पर गढ़ी हुई थी। दोनों ही बस दीप के चेहरे पर आने वाले भावों पर नजर रखे हुए थे।


"मैं सुबह उठा तो उसे आवाज लगाई.. रोज तो बेड टी मुझे टेबल पर रेडी मिलती थी.. जब आज सुबह नहीं मिली तो मैंने अनीता को.. अनीता माइ वाइफ..! पूरे घर में ढूंढा, बाथरूम में, किचन में, पूजा घर में, छत पर, गार्डन में हर जगह.. पर वह कहीं नहीं मिली। बाहर चौकीदार को पूछा.. तो उसने भी अनीता को बाहर जाते हुए नहीं देखा... और तो और जब उसे ढूंढने लगा.. तो देखा उसकी अलमारी में कुछ भी नहीं था। ना तो उसके कपड़े, ना ही पैसे और ना ही उसकी ज्वेलरी। अब कोई भी औरत जिसके कपड़े, जेवर सब कुछ ना मिले तो इसका क्या मतलब हो सकता है। आप ही बताएं..?" दीप में अजीब से तेवर से कहा।  



"मिस्टर दीप हम आपके घर में जांच पड़ताल करना चाहते हैं और साथ ही आपके घर वाले और इस घर मे रहने वाले सभी लोगों के बयान भी लेने होंगे। तभी हम इस केस को ठीक तरीके से समझ पाएंगे और इसे सुलझा पाएंगे। हम ट्राई करेंगे कि अगर आपकी बीवी अपने प्रेमी के साथ भागी है.. तो जल्द से जल्द उन्हें ढूंढ कर वापस लाएं।"  मृदुल ने कहा। 



 "सॉरी..! अगर अब वह आती भी है तो मैं उससे अपने घर में नहीं रखूंगा। बस मैं सिर्फ यह जानना चाहता हूं कि इतना सब कुछ होने के बाद भी उसे भागने की क्या जरूरत पड़ी थी? और.. दुनिया में ऐसा कौन सा मर्द पैदा हो गया.. जो दीप की बीवी को भगाकर ले जाने की हिम्मत रखता है?" दीप ने गुस्से और घमंड से जवाब दिया।



 मृदुल और चिराग दोनों ही इस वक्त दीप के चेहरे के एक्सप्रेशन देख रहे थे।  इस वक्त दीप इतने गुस्से में था कि अगर वह आदमी सामने होता तो बिना कानून की परवाह किए उस आदमी के टुकड़े-टुकड़े कर देता। 
"ठीक है..मिस्टर दीप..! आप हमें बता दीजिए कि कब मैं आपके परिवार और आपके नौकरों से मिलकर उनके बयान ले सकता हूं। मुझे आपकी बीवी के बारे में भी काफी जानकारियां चाहिए होंगी। मुझे भी आगे अपने केस की प्रोग्रेस रिपोर्ट देनी होगी.. तो हर काम सिस्टम से होगा.. तो प्लीज आपके चौकीदार को भी बता दीजिएगा कि मुझे कई बार आपके घर आना पड़ सकता है तो वह भी हमें कॉर्पोरेट करें।" मृदुल ने कहा। 
 दीप ने रनवीर को इशारा कर दिया।



 "ठीक है इंस्पेक्टर.. मैं अभी सबको बता देता हूं कि इंस्पेक्टर साहब जब भी आए या जो भी पूछे उनका ठीक से जवाब देना और उनकी हेल्प करना।" ऐसा कहकर रनवीर वहां से चला गया। 



इस वक्त दीप, मृदुल और चिराग ही वहाँ थे। तभी वहां एक सफेद यूनीफॉर्म पहने एक बटलर टी ट्रे लेकर हाजिर हो गया। व्हाइट बोन चाइना का क्लासिक टी सेट.. जिसमें इंग्लिश स्टाइल से चाय सर्व की जाती थी.. और साथ में कुछ कुकीज और केक था.. बटलर ने आकर सर्व किया। बटलर के आने के कारण उनकी बातों पर कुछ देर के लिए विराम लग गया था ।



"हाउ मच शुगर सर..??" बटलर ने पूछा तो चिराग जो हैरानी से उसी की तरफ देख रहा था ने 1 चम्मच के लिए इशारा किया। चिराग उस बटलर से प्रभावित दिख रहा था तभी तो उसका पूरा ध्यान बटलर के सफेद दस्ताने पहने हुए हाथों पर ही था।


बटलर ने सभी को चाय का कप पकड़ाया और वापस चला गया। सभी ने चाय की चुस्की ली और मृदुल ने कप नीचे रखते हुए सवाल किया।


"आपके आपकी वाइफ के साथ रिलेशंस कैसे थे? मतलब कोई लड़ाई झगड़ा या मनमुटाव तो नहीं था?"
 "नहीं ऑफिसर..!! मेरा और मेरी वाइफ का रिलेशन एज़ यूजुअल नार्मल कपल जैसा ही था। हां कभी-कभी मनमुटाव और झगड़े आम बात है पर कभी भी कोई भी बड़ी बात नहीं हुई।"


 "तो आपको क्या लगता है.. आपकी वाइफ क्यों भागी होंगी??  इतना अमीर, स्टेटस वाला और इतना पावरफुल पति छोड़कर कोई औरत क्यों भागेगी..??" चिराग ने बीच में ही अपना सवाल किया।


 "वह तो अब वही बता सकती है कि उसने ऐसा क्यों किया। मेरे हिसाब से शायद एक गरीब घर की लड़की को शादी कर के इस घर में लाने का मेरा फैसला गलत था। मुझे भी शायद अपने स्टेटस की किसी लड़की से ही शादी करनी चाहिए थी। जो इस स्टेटस,पैसे और पावर को हैंडल कर सके।  एक गरीब घर की लड़की.. जिसने अपने मायके में कुछ भी नहीं देखा था। यहां आकर ज्यादा पैसे देख लिए तो दिमाग खराब हो गया होगा। और हो सकता है उसका शादी से पहले कोई अफेयर रहा हो और मुझसे शादी सिर्फ पैसे के कारण ही की हो। अब जब पैसे उसके हाथ में आ ही गए.. तो शायद अपने पुराने प्रेमी के साथ भाग गई होगी।" बीच  में ही दीप ने अपनी आशंका जताई।




"आपके कहने का मतलब है.. शादी से पहले का पुराना  प्रेमी..??" चिराग ने जल्दबाजी में पूछा। मृदुल ने घूर कर चिराग को देखा तो चिराग एकदम से गर्दन झुका कर बैठ गया।



 "आपकी फैमिली में और कौन-कौन है?? इस वक्त कोई दिखाई क्यों नहीं दे रहा?" मृदुल ने चिराग की बात काटते हुए घर में सरसरी नज़र घुमा कर पूछा। 



 "मां, पापा, दादा, दादी, मेरी छोटी बहन और एक छोटा भाई हैं।  वह सभी इस वक्त हमारे गुरुजी के आश्रम में गए हैं। मैंने उन्हें इन्फॉर्म कर दिया है.. कल सुबह तक वह लोग यहां पहुंच जाएंगे।"



"ओह..!" मृदुल ने कहा और कुछ देर के लिए चुप हो गया। जैसे दीप की बातों में कितनी सच्चाई थी ये जानना चाहता था। मृदुल दीप के चेहरे पर कुछ अजीब सा महसूस कर रहा था क्या वो उसकी समझ में नहीं आ रहा था।


"आपके पैरेंट्स गुरुजी के आश्रम कब गए..?? मतलब कोई स्पेशल ऑकेजन था या बस यूँ ही घूमने फिरने जैसे अधिकतर अमीर लोग जाते हैं..मेडिटेशन जैसा कुछ।" चिराग़ ने उत्साहित होते हुए पूछा। इस समय चिराग कुछ ज्यादा ही एक्साइटेड था.. वो उस घर का असर था या दीप के साथ का.. कहना थोड़ा मुश्किल ही था।



 मृदुल को चिराग का यूं अति उत्साहित होना कुछ खास पसंद नहीं आ रहा था तो थोड़ी सख्त नज़रों से चिराग को देखा और आँखों ही आँखों में चेतावनी दी कि अपने आप पर कंट्रोल रखो वरना कुछ ठीक नहीं होगा।
"नहीं..! मेडिटेशन जैसा तो कुछ नहीं था पर तीन या चार दिनों से आश्रम में कोई आयोजन चल रहा था..  उसी के लिए गए थे सभी। आयोजन तो अभी दो दिन और चलने वाला था.. लेकिन अनीता की खबर मिलने के बाद वह सभी लोग कल सुबह ही वापस आ जाएंगे।" दीप ने सम्भाल कर एक एक शब्द जोड़ते हुए ज़वाब दिया।



"अनीता जी के मायके में कौन-कौन है..?" चिराग ने अब की बार समझदारी भरा सवाल किया था।


"केवल उसके पापा ही हैं.. जो अधिकतर बीमार रहते है और तो उसके परिवार में कोई नहीं है। मां थी.. जिनकी काफी पहले डेथ हो चुकी थी.. हमारी शादी से भी काफी पहले.. शायद अनीता के बचपन में ही.. अनीता ने उनके बारे मे बहुत कुछ नहीं बताया था।" चिराग की तरफ देखते हुए दीप ने ज़वाब दिया। 



दीप की नज़र बार बार दीवार की तरफ जा रही थी। उसे कहीं जाने की जल्दी लग रही थी.. जैसे वो बडे फाॅर्मेलिटी के लिए ही उनके ज़वाब दे रहा था ताकि इस बात का शक उसपर ना जाए।



"एक आखिरी सवाल..!! अनीता जी के फ्रेंड्स.. कौन कौन थे..?? उनके नाम, नंबर और पते की भी हमें जरूरत होगी।" चिराग अब फिर से धीरे-धीरे घर के मोह से बाहर निकलकर अपने काम पर लौट रहा था।


 "एक काम कीजिएगा..! आप मुझे आपके ससुराल का पता दे दीजिएगा.. ताकि जरूरत पड़ने पर वहाँ भी जा कर जांच पड़ताल की जा सके।"  मृदुल ने उसकी बेचैनी भांपते हुए बातों का सिलसिला खत्म करने की गरज़ से कहा।


"ओके..! मैं आपको रनवीर से कहकर सारी इनफार्मेशन दिलवा दूंगा। आई थिंक..आई हैव टू लीव नाउ। मुझे अब निकलना होगा.. मेरी एक बहुत ही जरूरी मीटिंग थी.. तो मैं चाह कर भी और देर नहीं रुक सकता।  आपको जो भी डिटेल चाहिए वो आप रनवीर से ले लीजिएगा।" ऐसा कह कर दीप सोफे से उठ खड़ा हुआ।



 दीप के खड़े होते ही चिराग और मृदुल भी उठ खड़े हुए।



"ज़ी दीप साहब..! अब हमें भी निकलना चाहिए.. अपना  कीमती वक्त देने के लिए शुक्रिया। हम कल आपकी फैमिली और नौकरों के बयान लेने के लिए आएंगे। और हां हमें आपके घर पर भी थोड़ी बहुत खोजबीन करनी होगी.. शायद कुछ ऐसा मिल जाए जो हमारे काम आए.. तो प्लीज आप अपने स्टाफ से कह दीजिएगा कि हमें कोऑपरेट करें।" मृदुल ने कहा।



 "ठीक है.. आप जब चाहे तलाशी के लिए आ सकते हैं। बस  घरवालों की प्राइवेसी में कोई खलल नहीं पहुंचे.. इस बात का ख्याल रखिएगा। अब मैं निकलता हूं..!!" ऐसा कह कर दीप ने चिराग और मृदुल से हाथ मिलाया और बाहर की तरफ निकल गया।


चिराग और मृदुल भी पीछे-पीछे ही चल दिए। 
"मुझे यह दिप बहुत ही ज्यादा शातिर लगता है। कहीं ऐसा तो नहीं है इसी ने अपनी बीवी को गायब करवा दिया और फिर हमारे पास भागता हुआ आया ताकि फंसे नहीं।" चिराग ने दीप के पीछे चलते हुए मृदुल के कान में फुसफुसा कर कहा।



 "चिराग कुछ भी मत बोलो.. दीप जैसा बड़ा आदमी अगर अपनी बीवी को गायब कर देता तो खुद से पुलिस स्टेशन में कंप्लेंट करने क्यों आता? जरूर कुछ और बात है.. हमें इस केस पर बहुत ही ज्यादा सावधानी से नजर रखनी होगी। यह जितना आसान दिख रहा है.. उतना है नहीं। हम चलते हैं और इस सारी बात की जानकारी कमिश्नर साहब को देते हैं। और हां तुम अपने नेटवर्क को अलर्ट कर दो। सभी जगह अनीता की फोटो भेज देना।" मृदुल ने चिराग को हिदायत देते हुए कहा।


"सर एक बात पूछूं..!"


 "हां पूछो!!"


"सर आपको क्या लगता है। यह दीप इतना स्मार्ट, पैसे वाला और स्टेटस वाला आदमी है और कहां इसकी बीवी..!"


 "कहने का क्या मतलब है तुम्हारा..??" मृदुल ने चौंक कर पूछा। 



"सर आपने देखा नहीं.. उसकी वाइफ की फोटो..?" चिराग ने अचंभित होके पूछा। 


"आपने लिफाफा खोला तो था..?"


"अरे भाई..! दीप सामने ही बैठा था तो मुझे उसके सामने ही उसकी वाइफ पर ध्यान देना उचित नहीं लगा.. वैसे भी मैंने बस एक सरसरी नज़र ही मारी थी। मेकअप की दुकान दिख रही थी शायद... वैसे ऐसा भी क्या था उसकी फोटो में..?" मृदुल ने हैरानी से पूछा। तब तक चलते हुए दोनों जीप के पास पहुंच चुके थे।
 "सर एक काम कीजिए..!!! मैं जीप ड्राइव करता हूं।  आप शांति से बैठकर उसकी वाइफ का फोटो देखिए और बाद में हम इसके इसके बारे में बात करेंगे।"  ऐसा कहते हुए वो दोनों पुलिस जीप में बैठ गए और चिराग ने जीप को पुलिस स्टेशन की तरफ बढ़ा दिया। 



 रास्ते में दोनों शांत थे.. कुछ वक्त बाद चिराग ने कहा,  "सर..! देखिए तो सही।" ऐसा कह कर लिफाफा मृदुल की तरफ बढ़ा दिया। 



 "यार तुम्हें इतना इंटरेस्ट क्यों है उसकी वाइफ में..? क्यों इतना ज्यादा डेसपरेट हो रहे हो?" मृदुल ने झल्लाते हुए पूछा।  



"सर आप उसकी फोटो देख लेंगे ना तो आपकी हालत भी ऐसी ही होंगी।"  ऐसा कहकर लिफाफा खोलने के लिए मृदुल के हाथ में थमा दिया।


मृदुल ने ना चाहते हुए उस लिफाफे को खोला तो तस्वीर को देखते ही चौंक गया.. और लिफाफा हाथ से छूट गया। 
      


                         क्रमशः.....

    


 बहुत से सवाल और उनके के जवाब अगले भागों में आपको मिलेंगे। ये तो फ़िलहाल शुरुआत है.. आशा है कि आपको पसंद आया होगा। अगर पसंद आए तो प्लीज कॉमेंट्स के जरिए बताए और ना आए तो वो भी बताइएगा के ऐसा क्या था जो आपको पसंद नहीं आया ताकि अगले भागों और मेरी आने वाली  कहानियों में वो आपकी शिकायत दूर करने की कोशिश कर सकूं।
                        धन्यवाद 🙏🏼 



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14 Comments

Rohan Nanda

30-Apr-2022 06:27 PM

बहुत खूब

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Sandhya Prakash

29-Apr-2022 06:31 PM

Very good

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Aalhadini

30-Apr-2022 03:06 PM

Thanks ma'am 🙏

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Seema Priyadarshini sahay

28-Apr-2022 09:00 PM

आपकी लेखनी कमाल की है मैम👌👌सुंदर भाग

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Aalhadini

30-Apr-2022 03:06 PM

बहुत बहुत आभार आपका .. बस आप जैसे पाठकों का सहयोग है 🙏🙏🙏

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